नैनीताल हाईकोर्ट ने बागेश्वर जिले में खड़िया खनन पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाते हुए इस मामले में सख्त रुख अपनाया है। मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंदर और वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ ने स्वत: संज्ञान लेते हुए खनन से जुड़ी जनहित याचिका पर सुनवाई की।
अवैध खनन से ग्रामीण परेशान और पर्यावरण को खतरा
मामले में कोर्ट कमिश्नर की रिपोर्ट के अनुसार, खनन के चलते न केवल वनभूमि और सरकारी भूमि को नुकसान पहुंचा है, बल्कि आसपास के गांवों में भवनों और पहाड़ियों में दरारें पड़ गई हैं। इससे ग्रामीण लंबे समय से परेशान थे और भूस्खलन का खतरा बना हुआ था। रिपोर्ट में फोटोग्राफ और वीडियो सबूत के रूप में पेश किए गए, जिससे स्पष्ट हुआ कि खनन नियमों के खिलाफ किया जा रहा था।
ग्रामीणों ने बताया कि खनन के कारण उनकी कृषि भूमि बर्बाद हो रही है और बारिश के दौरान स्थिति और खराब हो जाती है। कई ग्रामीण मजबूर होकर हल्द्वानी जैसे इलाकों में पलायन कर चुके हैं, जबकि गरीब परिवार गांवों में ही रहने को विवश हैं।
हाईकोर्ट का निर्देश
हाईकोर्ट ने खनन निदेशक और सचिव उद्योग को 9 जनवरी को व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश होकर स्थिति स्पष्ट करने का आदेश दिया है। साथ ही डीएफओ बागेश्वर, जिला खनन अधिकारी, और पर्यावरण सुरक्षा प्राधिकरण को पक्षकार बनाते हुए जवाब पेश करने को कहा है।
ग्रामीणों की मांग, ग्रामीणों ने कहा कि,अवैध खनन पर तत्काल रोक लगाई जाए।उन्हें सुरक्षित स्थान पर विस्थापित किया जाए। प्रशासन उनकी समस्याओं को गंभीरता से सुने।
क्या है खड़िया खनन का प्रभाव?
भवनों और मंदिरों में दरारें आ चुकी हैं।
भूस्खलन और पहाड़ी दरकने का खतरा बढ़ गया है।
कृषि भूमि और पर्यावरण को बड़ा नुकसान हो रहा है।
अब इस मामले की अगली सुनवाई 9 जनवरी को होगी, जिसमें खनन निदेशक और सचिव अदालत में स्थिति स्पष्ट करेंगे। हाईकोर्ट के इस सख्त फैसले से अवैध खनन पर रोक लगाने और प्रभावित ग्रामीणों को राहत मिलने की उम्मीद है।
यह फैसला न केवल पर्यावरण संरक्षण के लिए अहम है, बल्कि उन ग्रामीणों के लिए भी राहत का संकेत है, जो लंबे समय से इस समस्या से जूझ रहे थे। हाईकोर्ट की सक्रियता अवैध खनन पर रोक लगाने और जिम्मेदार एजेंसियों को जवाबदेह बनाने में महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।