उत्तराखंड में आगामी निकाय चुनाव के बाद धामी सरकार राज्य के विभिन्न आयोगों और समितियों के लिए दायित्वों का वितरण कर सकती है। इस समय राज्य में तीन प्रमुख आयोगों और एक मंदिर समिति के अध्यक्ष पद खाली हैं।
राज्य में उत्तराखंड अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष का पद पिछले एक साल से खाली पड़ा हुआ है। इसके अलावा, उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग और महिला आयोग के अध्यक्षों का कार्यकाल भी इस सप्ताह समाप्त हो गया है। इन दोनों आयोगों के अध्यक्षों का तीन साल का कार्यकाल पूरा हो गया है, जिसके बाद ये पद खाली हो गए हैं।
उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग में डा. गीता खन्ना को अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था, लेकिन उनका कार्यकाल अब समाप्त हो चुका है।
श्रीबदरी-केदार मंदिर समिति का भी कार्यकाल समाप्त
इस के साथ ही, श्रीबदरी-केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष का कार्यकाल भी खत्म हो गया है। राज्य में उत्तराखंड अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष पद की रिक्तता दिसंबर 2023 से बनी हुई है। इसके अलावा, आयोग में दो उपाध्यक्षों की कुर्सी भी खाली हैं, जिनका कार्यकाल समाप्त हो चुका है।
उपाध्यक्षों के कार्यकाल की समाप्ति
अल्पसंख्यक आयोग में उपाध्यक्ष सरदार इकबाल सिंह का कार्यकाल अप्रैल 2024 में और उपाध्यक्ष मजहर नईम नवाब का कार्यकाल सितंबर 2024 में समाप्त हुआ था।
आचार संहिता के बाद दायित्व वितरण की संभावना
राज्य में वर्तमान में निकाय चुनाव की आचार संहिता लागू है, जिससे इन पदों पर नियुक्तियों की प्रक्रिया फिलहाल स्थगित है। आचार संहिता समाप्त होने के बाद इन आयोगों और श्रीबदरी-केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष पदों पर नए दायित्व दिए जा सकते हैं।