उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित प्राचीन और पवित्र आदिबदरी मंदिर के कपाट मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए। मंदिर के मुख्य पुजारी चक्रधर थपलियाल ने बताया कि कपाट ब्रह्ममुहूर्त में सुबह चार बजे खोले गए, जबकि श्रद्धालुओं को सुबह छह बजे से दर्शन शुरू करने की अनुमति दी गई।
भव्य सजावट और भक्तिमय माहौल
मंदिर परिसर और नगर के अन्य मंदिरों को मकर संक्रांति के उपलक्ष्य में भव्य रूप से सजाया गया है। फूलों और रोशनी से सजा आदिबदरी मंदिर, कड़कड़ाती ठंड के बावजूद श्रद्धालुओं के उत्साह और भक्ति भावना का केंद्र बना रहा।
वेद मंत्रों और श्रृंगार दर्शन का अद्भुत अनुभव
कपाट खुलने के बाद भगवान आदिबदरी के माघ मास के पहले श्रृंगार के दर्शन श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण बने। वेद ऋचाओं के स्वरों से गूंजता मंदिर परिसर, भक्तों के मन को शांति और आस्था से भर रहा था।
शीतकालीन दर्शन की शुरुआत
आदिबदरी मंदिर के कपाट खुलने के साथ ही शीतकालीन दर्शन की परंपरा शुरू हो गई है। मकर संक्रांति के दिन यहां दर्शन करने की मान्यता के कारण बड़ी संख्या में श्रद्धालु हर साल इस पवित्र स्थल पर पहुंचते हैं।
आदिबदरी मंदिर का महत्व
आदिबदरी मंदिर उत्तराखंड के पंच बदरी मंदिरों में से एक है। यह भगवान विष्णु को समर्पित है और यहां का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व अत्यधिक है। मकर संक्रांति के दिन मंदिर के कपाट खुलने की परंपरा वर्षों से चली आ रही है।
मकर संक्रांति पर आदिबदरी मंदिर में श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़ और भक्तिमय माहौल ने इस पर्व को और भी पावन बना दिया। मंदिर में दर्शन करने वालों ने आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव किया और भगवान विष्णु से आशीर्वाद प्राप्त किया।