उत्तराखंड में 11 जुलाई 2025 से शुरू हो रही कांवड़ यात्रा को लेकर तैयारियां अंतिम चरण में हैं। यह धार्मिक यात्रा हर साल सावन माह में शुरू होती है और इस वर्ष इसमें देशभर से लगभग 4 करोड़ श्रद्धालुओं के शामिल होने की संभावना है। यात्रा की भव्यता और श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या को देखते हुए राज्य सरकार ने व्यापक सुरक्षा और व्यवस्था संबंधी तैयारियां की हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस संबंध में अधिकारियों को कई दिशा-निर्देश जारी किए हैं और सुनिश्चित किया है कि यात्रा शांतिपूर्ण, व्यवस्थित और श्रद्धालुओं के लिए सुरक्षित हो।
मुख्यमंत्री धामी ने हरिद्वार सहित कांवड़ मार्गों की समीक्षा करते हुए कहा कि यह यात्रा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि आस्था, अनुशासन और समर्पण का प्रतीक है। यात्रा के दौरान किसी भी तरह की अव्यवस्था या अप्रिय घटना को रोकने के लिए विशेष सतर्कता बरती जाएगी। कांवड़ मार्गों पर निगरानी और वेरिफिकेशन ड्राइव चलाई जा रही है, जिससे असामाजिक तत्वों पर कड़ी नजर रखी जा सके।
इस बार की कांवड़ यात्रा में नशा मुक्ति का संदेश भी प्रमुखता से शामिल किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि श्रद्धालु शिवभक्ति के साथ समाज को स्वच्छ और नशामुक्त बनाने का भी संकल्प लें। नशे से दूर रहकर शिव की उपासना करें और यात्रा को पूर्ण पवित्रता और श्रद्धा के साथ पूरा करें।
मुख्यमंत्री धामी ने हाल ही में हरिद्वार में अधिकारियों के साथ उच्च स्तरीय बैठक कर व्यवस्थाओं की समीक्षा की। इसके साथ ही अंतरराज्यीय समन्वय बैठकें भी की गई हैं, जिसमें उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और पंजाब समेत अन्य राज्यों के अधिकारियों के साथ चर्चा कर कांवड़ यात्रा के दौरान यातायात, सुरक्षा, स्वच्छता, स्वास्थ्य सेवाओं और आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रणाली पर विशेष रणनीति बनाई गई है।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि कांवड़ यात्रा में आने वाले श्रद्धालु नियमों का पालन करें। उन्होंने स्पष्ट किया कि यात्रा के दौरान कांवड़ का आकार, डीजे की आवाज की सीमा और स्वच्छता जैसे नियमों का पालन अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए हैं कि निर्धारित मानकों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए, ताकि किसी की आस्था आहत न हो और यात्रा में शामिल सभी श्रद्धालुओं को सुरक्षित और व्यवस्थित अनुभव मिले।
सीएम धामी ने कहा कि यात्रा पवित्र है, लेकिन अनुशासन के बिना यह पवित्रता प्रभावित हो सकती है। उन्होंने यह भी अपील की कि कांवड़ियों के ठहरने, जलपान, चिकित्सा सहायता और आपात सेवाओं की व्यवस्था चाक-चौबंद हो। प्रशासन और जनता के सहयोग से ही यह यात्रा सफल हो सकती है।