उत्तराखंड निकाय चुनाव में देहरादून की आबोहवा और प्रदूषण का मुद्दा चर्चा का केंद्र बन गया है। बढ़ते वायु प्रदूषण और घटती हरियाली पर जनता का ध्यान आकर्षित करने के लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों ने अपनी-अपनी योजनाओं का ऐलान किया है।
प्रदूषण का स्तर क्यों बढ़ रहा है?
देहरादून, जो कभी अपनी हरियाली और स्वच्छ हवा के लिए प्रसिद्ध था, अब प्रदूषण की चपेट में आ चुका है। शहर में वाहनों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, जिससे वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ गया है।
अंधाधुंध शहरीकरण और निर्माण कार्यों से धूल-मिट्टी का उत्सर्जन बढ़ा है। बढ़ते उद्योग पर्यावरणीय संकट को और बढ़ा रहे हैं। ग्रीष्म और शीतकाल में वायु प्रदूषण का स्तर और अधिक खतरनाक हो जाता है।
पीएम-2.5 और पीएम-10: सेहत के लिए खतरा
पीएम-2.5: यह अधिक महीन कण है, जो फेफड़ों में गहराई तक पहुंचकर हृदय और श्वसन संबंधी गंभीर बीमारियां पैदा कर सकता है।
पीएम-10: यह बड़े कण होते हैं, जो अस्थमा और अन्य श्वसन समस्याओं का कारण बन सकते हैं।
दून अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अनुराग अग्रवाल के अनुसार, वायु प्रदूषण के संपर्क में रहने से ब्रोंकाइटिस, अस्थमा और सीओपीडी जैसी बीमारियां बढ़ रही हैं।
भाजपा और कांग्रेस के वादे
भाजपा
हर वार्ड को “ग्रीन वार्ड” बनाने की योजना।
“हरियाली सड़क अभियान” चलाने का वादा।
शहर के पार्कों का पुनर्विकास।
कांग्रेस
हर साल 2.5 लाख पौधे लगाने का वादा।
देहरादून में हरियाली को बढ़ाने के लिए विशेष योजनाएं लागू करने का आश्वासन।
क्या है जनता की उम्मीदें?
देहरादून की जनता को उम्मीद है कि चुनावी वादे केवल कागजों तक सीमित नहीं रहेंगे।
हरियाली बढ़ाने और प्रदूषण रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।
वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल हो।
शहरी विकास और पर्यावरण संरक्षण में संतुलन बनाए रखा जाए।
उत्तराखंड निकाय चुनाव 2025 में दून का प्रदूषण एक प्रमुख मुद्दा बन चुका है। भाजपा और कांग्रेस ने इसे हल करने के लिए अपने-अपने वादे किए हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि चुनाव के बाद ये वादे धरातल पर उतरते हैं या नहीं।