उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में स्थित विश्व प्रसिद्द जागेश्वर धाम मंदिर में आज एक महीने के बाद जागेश्वर ज्योतिर्लिंग महादेव, घी की गुफा (घृत कमल) से बाहर आएंगे और भक्तों को अपने दर्शन का सुख देंगे। बता दें कि हर साल यहाँ एक महीने के लिए बाबा जागनाथ तपस्या करने गुफा में चले जाते हैं।
आज घृत कमल से बाहर आए बाबा जागनाथ
एक महीने के बाद आज जागेश्वर ज्योतिर्लिंग महादेव, घी की गुफा जिसको घृत कमल भी कहा जाता है से बाहर निकलकर अपने भक्तों को दर्शन देने के लिए बाहर आते हैं। आपको बता दें कि हर साल भगवान जागेश्वर ज्योतिर्लिंग महादेव बस्त पंचमी के एक महीने पहले तपस्या के लिए गुफा में चले जाते हैं। इसी परंपरा के अनुसार बाबा जागनाथ एक महीने पहले 120 किलो से ज्यादा घी से भक्तों द्वारा तैयार गुफा में साधनालीन हो जाते हैं।
मकर संक्रांति में सदियों से जुड़ी है ये अनूठी परंपरा
आपको बता दें कि जागेश्वर ज्योतिर्लिंग महादेव के इस मंदिर में मकर संक्रांति पर्व के दौरान सदियों से एक अनूठी परंपरा चली आ रही है। इस परंपरा के मुताबिक हर वर्ष भगवान शिव मकर संक्रांति के त्योहार पर एक महीने के लिए घी की गुफा में साधना में लीन हो जाते हैं। आपको बता दें कि इस घी की गुफा को स्वयं बाबा के भक्त ही तैयार करते हैं।
शुद्ध घी के घृत से बनता है कमल
इस कमल को बनाने के लिए भक्त गाय के दूध से बने शुद्ध घी का इस्तेमाल करते हैं। इसके बाद वेदमंत्रों का पाठ किया जाता है और भगवान शिव को इसके भीतर विराजमान कर देते हैं। वहीं एक महीने बाद परंपरा के मुताबिक बाबा जागनाथ को जागेश्वर धाम के पुजारी पूरे विधि-विधान से बाहर निकाल लेते हैं।
जागेश्वर धाम से शिवलिंग की पूजा की शुरुआत
उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले से करीब 40 किलो मीटर की दूरी पर स्थित शिव का यह पावन धाम जागेश्वर मंदिर समूह में बसा है। जहां पर स्वयं शिव विराजते हैं। ऐसा माना जाता है कि दुनिया के सबसे पहले शिवलिंग की उत्पत्ति यहीं जागेश्वर में ही हुई थी और यहीं से शिवलिंग की पूजा और दर्शन करने का प्रचलन भी लोगों में प्रारम्भ हुआ था।