हरिद्वार-ऋषिकेश गंगा कॉरिडोर के विकास को लेकर कई अटकलें और सवाल उठ रहे थे, खासकर पुराने भवनों के ध्वस्तीकरण को लेकर। इन सवालों का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि गंगा कॉरिडोर क्षेत्र में कोई भी भवन तोड़ा नहीं जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस क्षेत्र में केवल सुंदरीकरण के कार्य किए जाएंगे। साथ ही, हरिद्वार और ऋषिकेश में ऐसे खुले स्थानों का विकास किया जाएगा, जो स्नान और पर्वों के दौरान आने वाली भीड़ को संभाल सकें।
गंगा कॉरिडोर के क्षेत्र में किए जाने वाले कार्यों को लेकर उठ रहे सवालों का जवाब देते हुए, सचिव नियोजन आर मीनाक्षी सुंदरम ने कहा कि इस क्षेत्र में ध्वस्तीकरण के बिना सुंदरीकरण के कार्य किए जाएंगे। गंगा नदी के किनारे स्थित हरिद्वार और ऋषिकेश में कई अन्य विकास कार्य भी प्रस्तावित हैं। हालांकि, इस दौरान किसी पुराने भवन को तोड़े जाने का कोई भी प्रस्ताव नहीं है।
आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए होगा विकास
कुछ समय पहले, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मिलने वाले जनप्रतिनिधियों और क्षेत्रवासियों ने गंगा कॉरिडोर के विकास में उनके सुझावों को शामिल करने की अपील की थी। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कॉरिडोर को अगले 25 वर्षों की आवश्यकताओं के आधार पर विकसित किया जाए। इस पर मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया कि जनप्रतिनिधियों के सुझावों को ध्यान में रखते हुए विकास कार्य किए जाएंगे और कोई भी भवन ध्वस्त नहीं किया जाएगा।
हनोल से ठडियार तक बनेगी सड़क: पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज
जनजातीय जौनसार बावर क्षेत्र में प्रसिद्ध हनोल महासू देवता मंदिर से ठडियार तक एक नई सड़क बनाई जाएगी। इसके साथ ही, हनोल और ठडियार स्थित टौंस नदी के दोनों किनारों पर घाटों का निर्माण भी किया जाएगा। लोनिवि एवं पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने इस संबंध में अधिकारियों को निर्देश दिए।
मंत्री ने बैठक के बाद कहा कि लोनिवि द्वारा हनोल से ठडियार तक लगभग डेढ़ किलोमीटर लंबी सड़क और ठडियार में एक पुल का निर्माण कराया जाएगा। इसके साथ ही, मार्ग का सुंदरीकरण भी किया जाएगा। उन्होंने सड़कों के किनारे चौड़ाई बढ़ाने, यात्रा मार्ग पर साइन बोर्ड लगाने और शौचालयों का निर्माण करने के भी निर्देश दिए।
भविष्य के लिए बेहतर समन्वय
हनोल मंदिर के मास्टर प्लान के क्रियान्वयन में लोनिवि, पर्यटन, और सिंचाई विभाग के बीच बेहतर समन्वय बनाए रखने की बात कही गई है। इसके साथ ही, मंदिर से लेकर झूलापुल तक भूकटाव को रोकने के लिए भी आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया गया।