केदारनाथ विधानसभा सीट पर उपचुनाव को लेकर राजनीतिक माहौल गरम है। 20 नवंबर को होने वाले मतदान के लिए सभी दलों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। इस उपचुनाव में लगभग 92,000 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। बता दें कि दिवंगत विधायक शैलारानी रावत के निधन के बाद यह सीट खाली हुई है, और अब इसके लिए बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही के बीच जोर-शोर से प्रचार अभियान शुरू कर दिया है।
सीएम धामी ने किया त्रियुगीनारायण मंदिर में दर्शन
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उपचुनाव के प्रचार के तहत आज त्रियुगीनारायण मंदिर में पूजा-अर्चना की। शनिवार को मंदिर में माथा टेकने के बाद उन्होंने तीर्थ पुरोहितों और स्थानीय निवासियों से मुलाकात की। इसके बाद सीएम धामी ने सोनप्रयाग और आसपास के क्षेत्रों में बीजेपी के पक्ष में प्रचार किया और वोट मांगे। वे खुद गांव-गांव जाकर लोगों से संवाद कर रहे हैं और बीजेपी के लिए समर्थन जुटाने की कोशिश कर रहे हैं।
बीजेपी की चुनावी रणनीति
बीजेपी ने केदारनाथ उपचुनाव को लेकर अपनी रणनीति को पूरी तरह से सुदृढ़ किया है। पार्टी ने हर स्तर पर कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी सौंपी है, जिसमें मंडल और बूथ स्तर पर प्रचार को प्राथमिकता दी गई है।
बीजेपी के जिला और ब्लॉक स्तर के पदाधिकारी सुदूर गांवों में जाकर मतदाताओं से संपर्क कर रहे हैं। भाजपा मंत्री, विधायक और अन्य नेता व्यक्तिगत रूप से लोगों से मुलाकात कर रहे हैं और पार्टी के पक्ष में समर्थन मांग रहे हैं।
गौरतलब है कि बीजेपी के लिए यह चुनाव प्रतिष्ठा का चुनाव है और इसके लिए पार्टी हर संभव प्रयास कर रही है।
कांग्रेस ने आपदा प्रभावितों को बनाया मुद्दा
वहीं, कांग्रेस भी इस उपचुनाव में पूरी तरह से सक्रिय है और अपने प्रचार अभियान में आपदा प्रभावित क्षेत्रों की समस्याओं को अपना प्रमुख मुद्दा बना रही है। पार्टी ने “केदारनाथ प्रतिष्ठा रक्षा यात्रा” के माध्यम से इस क्षेत्र की समस्याओं को उठाया है, जिसमें आपदा से प्रभावित लोगों की स्थिति को प्रमुखता से दिखाया जा रहा है।
कांग्रेस का कहना है कि भाजपा की सरकार ने आपदा प्रभावित क्षेत्रों में जरूरी कदम नहीं उठाए है ऐसे में पार्टी जनता को यह विश्वास दिलाने की कोशिश कर रही है कि कांग्रेस उनके अधिकारों की रक्षा करेगी।
बीजेपी और कांग्रेस के बीच टक्कर
केदारनाथ उपचुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला देखने को मिल रहा है। दोनों प्रमुख दल इस प्रतिष्ठित सीट पर कब्जा जमाने के लिए पूरी ताकत से मैदान में हैं।
अब सबकी नजरें 20 नवंबर को होने वाले मतदान पर टिकी हुई हैं, जहां मतदाता अपने मतदान के फैसले के साथ यह तय करेंगे कि उनका प्रतिनिधि कौन बनेगा। स्पष्ट कर दें कि 23 नवंबर को मतगणना होनी है जहां इस उपचुनाव के परिणामों का ऐलान किया जाएगा।
नतीजे के बाद क्या होगा?
केदारनाथ उपचुनाव का परिणाम न केवल भाजपा और कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण होगा, बल्कि यह उत्तराखंड की राजनीति में भी एक नया मोड़ ला सकता है। चुनाव में जिस भी पार्टी को जीत मिलती है, वह पार्टी आगामी चुनावों में मजबूती और आत्मनिर्भरता से मैदान में उतरेगी।
This Post is written by Abhijeet Kumar yadav