एनआईएफएम की समीक्षा के बाद 495 योजनाओं को वर्तमान जरूरत के हिसाब से सही पायी गयी हैं। 863 में से कई योजनाएं आज की जरूरत के हिसाब से उतनी प्रभावी नहीं हैं।
मौजूदा समय में प्रशासनिक और नीतिगत सुधारों के दौर से गुजर रही प्रदेश की धामी सरकार ने 24 साल से विभिन्न विभागों में संचालित हो रही 368 ऐसी योजनाओं को छांटा है जो अब सिर्फ नाम की रह गई हैं। काम की बनाने के लिए या तो ये योजनाएं एक-दूसरे में मर्ज होंगी या फिर इन्हें हमेशा के लिए बंद किया जाएगा।
नियोजन विभाग की पहल के बाद राष्ट्रीय वित्त प्रबंधन संस्थान (एनआईएफएम) को राज्य सरकार के 43 विभागों में संचालित हो रहीं 863 योजनाओं को छांटने का काम दिया गया था। इनमें कृषि, उद्यान, शिक्षा, स्वास्थ्य, उद्योग, समाज कल्याण, महिला सशक्तिकरण व बाल विकास समेत कई अन्य महत्वपूर्ण विभाग शामिल हैं।
एनआईएफएम ने अपनी समीक्षा रिपोर्ट नियोजन विभाग को सौंप दी है। साथ ही विभागीय स्तर पर योजनाओं के नए स्वरूप तय करने के लिए गाइडलाइन भी तैयार कर दी है।
कई योजनाएं जरूरत के हिसाब से प्रासंगिक नहीं
विभागों को गाइडलाइन के आधार पर ही योजनाएं छांटनी हैं। इस प्रोजेक्ट के नोडल अधिकारी डॉ. मनोज कुमार पंत ने कहा, एनआईएफएम ने समीक्षा के बाद 495 योजनाओं को वर्तमान की जरूरतों के हिसाब से सही पाया है।
368 में से कई योजनाएं आज की जरूरत के हिसाब से उतनी प्रभावी नहीं हैं। इनमें कई योजनाएं प्रासंगिक नहीं रहीं। आज के समय में इन सभी योजनाओं को प्रभावी बनाने के लिए अलग-अलग विभागों में संचालित हो रही एक जैसी योजनाओं को मिलाने की सिफारिश की गई है।
This post is written by Abhijeet kumar yadav