उत्तराखंड में हुए साइबर हमले में हमला करने वालों ने सारे डाटा पर कब्जा कर लिया है, जो अब नहीं मिलेगा। माकोप रैनसमवेयर से ये साइबर हमला हुआ है। पहली बार 2020 में यह रैनसमवेयर पहचाना गया था।
उत्तराखंड में जो साइबर हमला हुआ था, वो माकोप रैनसमवेयर से हमला हुआ था। विशेषज्ञों द्वारा इसकी पहचान कर ली गई है। साइबर क्राइम की दुनिया में पहली बार 2020 में इस रैनसमवेयर की पहचान हुई थी। इससे पहले ये एयर इंडिया, इंडिगो एयरलाइंस, एम्स दिल्ली समेत देश में कई जगह इससे हमले हो चुके हैं।
आज तक इस रैनसमवेयर को भेजने वालों की पहचान ही नहीं हो पाई है। यह सिस्टम में घुसने के बाद से ही पूरी फाइल को इंक्रिप्ट कर देता है यानी उस पर खुद से एक लॉक लगा देता है।
इसके साथ ही उस सिस्टम पर फिरौती का एक नोट छोड़ देता है। जैसे ही कोई सिस्टम खोलने की कोशिश करता है तो वह नोट स्क्रीन पर पढ़ने में आता है।
इस रैनसमवेयर की चपेट में आया डाटा रिकवर होना अभी तक तो असंभव है। आईटी सचिव नितेश झा ने बताया कि माकोप रैनसमवेयर की पहचान हो चुकी है। हालांकि, ये साइबर हमला कहां से हुआ, इसका अभी तक कोई पता नहीं चल पाया है।
अब नहीं मिलेगा कब्जा किया गया डाटा
माकोप रैनसमवेयर से साइबर हमलावर ने उत्तराखंड का सारे डाटा पर कब्जा कर लिया है। उसकी मांग पूरी होने की सूरत में ही सारा डाटा वापस मिल सकता है। गनीमत यह है कि इसमें से ज्यादातर डाटा बैकअप से भी ले लिया गया है।
कितना खतरनाक है माकोप रैनसमवेयर?
यह सिस्टम की सारी जानकारी को एकत्र कर सकता है। विंडोज के कार्यों को खुद से संभाल सकता है। इसके अलावा ड्राइव, फोल्डर्स को खोजने तक पर रोक लगा देता है।
हार्डवेयर, मेमोरी पर पूरी तरह कब्जा कर लेता है। सिस्टम के अधिकार व पहुंच को कब्जा कर उसमें हेरफेर कर सकता है। अगर खुद छेड़छाड़ करेंगे तो पूरा डाटा खत्म कर सकता है । यह फाइलों को एनक्रिप्ट कर देता है। फोल्डर तक अपनी पहुंच बना लेता है।
This post is written by Abhijeet kumar yadav