उत्तराखंड राज्य स्थापना की रजत जयंती के उपलक्ष्य में विधानसभा का दो दिवसीय विशेष सत्र आयोजित किया गया, जिसका आज दूसरा दिन रहा। पहले दिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सदन को संबोधित करते हुए राज्य की उपलब्धियों की सराहना की थी। आज के सत्र में पिछले 25 वर्षों के विकास कार्यों की समीक्षा और आगामी 25 वर्षों के विकास रोडमैप पर गहन चर्चा हुई। देर शाम सदन की कार्यवाही को एक दिन और बढ़ाकर बुधवार तक करने का निर्णय लिया गया।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रदेश सरकार का संकल्प उत्तराखंड को सशक्त, समृद्ध और आत्मनिर्भर राज्य बनाने का है। उन्होंने विश्वास जताया कि राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में यह लक्ष्य अवश्य पूरा होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की नीति “डबल इंजन की सरकार” के संकल्प को साकार करने के लिए जनभागीदारी आवश्यक है।
कांग्रेस विधायक किशोर उपाध्यक्ष ने विकास की दिशा पर चर्चा करते हुए कहा कि राज्य के 25 वर्षों के सफर में बहुत कुछ हासिल हुआ है, लेकिन स्वास्थ्य और रोजगार के क्षेत्र में अभी भी सुधार की आवश्यकता है। उन्होंने आउटसोर्सिंग की व्यवस्था पर प्रश्न उठाते हुए कहा कि इससे रोजगार पर नकारात्मक असर पड़ा है।
विधायक सुमित हृदयेश ने कहा कि उत्तराखंड की स्थापना में सभी दलों का योगदान रहा है। उन्होंने एन.डी. तिवारी और अटल बिहारी वाजपेयी के सहयोग से सिडकुल की स्थापना को राज्य के औद्योगिक विकास की महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया। उन्होंने कहा कि आज जरूरत है कि स्थानीय युवाओं को उद्योगों में उच्च पदों पर अवसर मिले।
विधायक उमेश शर्मा काऊ ने राज्य की कृषि और पशुपालन क्षेत्र की प्रगति का उल्लेख करते हुए कहा कि पिछले वर्षों में किसानों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान की गई है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में पशु चिकित्सालयों की संख्या बढ़ी है और लाखों पशुधन का बीमा किया गया है।
विधायक खजानदास ने कहा कि उत्तराखंड की स्थापना के समय की चुनौतियों को याद करते हुए अब राज्य को शहीदों के सपनों का प्रदेश बनाने का संकल्प लेना चाहिए। उन्होंने समान नागरिक संहिता (UCC) लागू करने के निर्णय को ऐतिहासिक बताया और कहा कि इससे उत्तराखंड ने देश के सामने एक नई मिसाल पेश की है।
रजत जयंती वर्ष का यह विशेष सत्र उत्तराखंड के 25 वर्षों की उपलब्धियों के मूल्यांकन और आगामी 25 वर्षों के विकास विजन को तय करने का सत्र बन गया है। राज्य के सभी दलों ने यह संदेश दिया कि मिलजुलकर ही उत्तराखंड को सशक्त, समृद्ध और आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है।